सरगुजा में राशन घोटाला : ऑनलाइन रिकॉर्ड में दो माह की एंट्री, हितग्राहियों को मिला सिर्फ एक माह का अनाज, दो आरोपी गिरफ्तार

1: मैनपाट में उजागर हुआ राशन घोटाला, ग्रामीणों की शिकायत पर खुली पोल

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के मैनपाट क्षेत्र में गरीबों के राशन का गबन सामने आया है। ग्राम पंचायत कलजीबा की उचित मूल्य की दुकान के संचालकों ने 17 राशन कार्ड धारकों को मई 2024 का राशन नहीं दिया, जबकि ऑनलाइन रिकॉर्ड में अप्रैल और मई दोनों महीनों का वितरण दर्शा दिया गया। ग्रामीणों की शिकायत के बाद मामले की जांच की गई, जिसमें घोटाले की पुष्टि हुई।

सरगुजा में राशन घोटाला: ऑनलाइन रिकॉर्ड में दो माह की एंट्री, हितग्राहियों को मिला सिर्फ एक माह का अनाज, दो आरोपी गिरफ्तार

सबहेडिंग 2: जांच में हुआ खुलासा, सिर्फ एक माह का ही मिला राशन
खाद्य निरीक्षक नवीन सिंह ने ग्रामीणों की शिकायत पर जांच की। जांच के दौरान 17 हितग्राहियों ने यह स्पष्ट किया कि उन्हें केवल एक महीने का ही राशन मिला है, जबकि रिकॉर्ड में दो महीने का वितरण दिखाया गया है। इससे यह स्पष्ट हुआ कि राशन वितरण में घोटाला किया गया है।


सबहेडिंग 3: धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज, दो आरोपी गिरफ्तार
जांच रिपोर्ट के आधार पर खाद्य निरीक्षक नवीन सिंह ने कमलेश्वरपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। इस पर पुलिस ने कलजीबा राशन दुकान के विक्रेता बलराम केरकेट्टा और संचालन समिति की उपाध्यक्ष जलसो पन्ना के खिलाफ IPC की धारा 420 (धोखाधड़ी), 409 (सरकारी संपत्ति का गबन), 34 (साझा अपराध) और आवश्यक वस्तु अधिनियम की धारा 3 व 7 के तहत मामला दर्ज किया।


सबहेडिंग 4: आरोपियों ने कबूला अपराध, राशन बेचकर खर्च किया पैसा
पुलिस पूछताछ में बलराम केरकेट्टा (46 वर्ष) और जलसो पन्ना (32 वर्ष) ने स्वीकार किया कि वे वर्ष 2019 से ग्राम पंचायत कलजीबा में राशन दुकान संचालित कर रहे हैं। उन्होंने अप्रैल 2024 का पूरा राशन वितरित करने और मई के 17 हितग्राहियों का राशन नहीं देने की बात मानी। साथ ही यह भी स्वीकार किया कि गबन किया गया चावल बेचकर पैसे खर्च कर दिए गए। इसके बाद पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।


निष्कर्ष:
सरगुजा जिले में हुए इस राशन घोटाले से यह साफ है कि कुछ लोग गरीबों के हक पर डाका डाल रहे हैं। हालांकि, प्रशासन की तत्परता से मामला उजागर हुआ और दोषियों को गिरफ्तार किया गया। अब जरूरत है कि इस प्रकार के मामलों की नियमित जांच हो ताकि गरीबों को उनका हक समय पर मिल सके।

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